भारत माता की जय!
दिन की शुरुआत सुविचार पढ़कर करो तो दिन सवर जाता हैं| लीजिये आपके लिए कुछ सुविचार!
भुलाया उनको जाता हैं जो दिमाग़ में बसते हैं,
दिल में बसने वालों को भूलना नामुमकिन हैं
हा जो दिल में बसते हैं उनको कभी नहीं भूलता हैं ये मन| और जो दिमाग में घर कर जाते हैं उनसे कोई भावना नहीं जुडी होती हैं| जुडा होता हैं तो केवल स्वार्थ| स्वार्थ की पूर्ति के बाद अक्सर हम उनको भुला देते हैं जिनकी जगह केवल दिमाग में होती हैं|
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पैर को लगने वाली चोट संभल कर चलना सिखाती है
और मन को लगने वाली चोट समझदारी से जीना सिखाती है।
संभल कर चलना हमारी जिम्मेदारी हैं क्युकी पैर भी तो हमारा हि हैं और चोट भी हमें ही तकलीफ देती हैं| चोट लगने के बाद भी जो संभलकर नहीं चलता वो अक्सर किसी न किसी नशे में होता हैं| फिर नशा चाहे किसी नशीली चीज का हो या घमंड का - दोनों संभलने नहीं देते|
किसी से भावनाए जुड़ जाती हैं| पर हम नासमझी में ये भूल जाते हैं की सामने वाले के मन में हमारे लिए कोई भावना होगी ही ये जरुरी नहीं और उसी नासमझी में खुद की भावनाओं का अपमान कर बैठते हैं| दिल टुटा तो तकलीफ होती हैं पर असली हिम्मत तो इसमें हैं की हम उस चोट से कुछ सीखे और समझदारी से अपना जीवन जिए| दिल पर लगी चोट अक्सर अवसाद का रूप ले लेती हैं| पर समझदारी इसी में हैं की अवसाद के बंद कोठरी के बाहर निकला जाए और मन को अपने आराध्य के समर्पण में लगा दिया जाए| मन ही मन अपने ईश्वर से प्रार्थनाये की जाए तो बुरे से बुरे परिस्थिति से मुक्ति अवश्य मिलती हैं|
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हाथ
बांधे क्यों खड़े हो हादसों के सामने।
हादसे
कुछ भी नहीं है होंसलों के सामने।।
जीवन हैं तो हादसे होते रहेंगे| अपने बिछड़ते रहेंगे| पर उन हादसों से मन को उद्विग्न कर निराशा में डूबना बिलकुल ही गलत बात हैं| हिम्मत और हौसला रखेंगे तो कितना भी नुकसानदेह हादसा हो हम उससे उभरकर अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए उचित उपाय जरुर कर सकेंगे|
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मुस्कुराहटें
भी उन्ही की मुरीद होती हैं
जो
ज़ख़्म सह के भी हँसना नही भूलते
हा सच ही तो कहा हैं| अगर हम जख्म के ही बारे में सोचते रहेंगे तो रोते रहेंगे और जख्म हमेशा हरा ही रहेगा| जरुरी हैं उस दर्द को अपना लेना - मुस्कुराकर| जैसे ही हमने मुस्कान दी सारे शरीर में एक सकारात्मकता दौड़ जाती हैं| इसीलिए जख्म हैं तो भी उसे प्यार से अपना लीजिये तकलीफे दूर होगी|
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सारी
उमर अच्छा करके भी,
एक
दिन की गलती बुरा बना देती है !!
दुनिया का दस्तूर हैं, गलतियों के बारे में बहस करे| ये भी सच हैं की जीवनभर आपने कुशल कर्म किये पर एक गलती से किया हुआ गलत काम आपको दुनिया के नजर में गलत बना देता हैं| पर ये भी उतना ही जरुरी हैं की हम उस गलती का पछतावा किस तरह से करते हैं - रोकर उसके लिए खुद को कोस कर या हसकर उस गलती को न दोहराने की कसम खा कर| अगर हम हमारी गलती पर रोते रहे तो दुनिया आसुओ का तमाशा बना देंगी और अगर हम हमारी गलती से सबक लेकर उसे फिर से न दोहराने का प्राण ले ले तो दुनिया भी उस गलती तो देर सवेर भूल जाती हैं|
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यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद! कदाचित आपको मेरे विचार अच्छे लगे हो तो मुझे कमेंट कर बताइए की क्या अच्छा लगा| और अगर कोई बात बुरी लगी हो तो वह भी कमेंट कर बताइए| इस ब्लॉग को शेयर करिए|
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