भारत माता की जय
जय अन्नपूर्णा माँ !
भोजन से ही शरीर पोषित होता हैं| अगर कुछ नियमो का पालन करेंगे तो भोजन अमृत तुल्य हो जायेगा| वैसे तो कई नियम हैं पर मैंने उन्ही का उल्लेख किया हैं जो सहजता से आज के समय में पालन किये जाते हैं|
जिन्हें लगता हैं की नियम बनाए जाते ही हैं तोड़ने के लिए, उनको मैं यही कहूँगी की नियम का पालन करोगे तो फायदे में रहोगे और अगर नहीं करोगे तो कोई बात नहीं देर सवेर नुकसान आपका ही होगा|
चलिए तो मुद्दे पर आते हैं|
भोजन
सम्बन्धी कुछ नियम
१
- पांच अंगो ( दो हाथ , दो पैर , मुख ) को
अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे!
२
गीले पैरों खाने से आयु में वृद्धि होती है!
३
प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है!
४
पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुह करके ही खाना चाहिए!
५
शैय्या पर ,
हाथ
पर रख कर ,
टूटे
फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए!
६
मल मूत्र का वेग होने पर , कलह के माहौल में , अधिक शोर
में ,
पीपल
,वट वृक्ष
के नीचे ,
भोजन
नहीं करना चाहिए!
७
परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए!
८
खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के ,उनका
धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो ऐसी
प्राथना करके भोजन करना चाहिए!
९
इर्षा ,
भय
,
क्रोध
,
लोभ
,
रोग
,
दीन
भाव ,
द्वेष
भाव ,
के
साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है!
१०
भोजन के समय मौन रहे!
११
भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए!
१२
रात्री में भरपेट न खाए!
१३
थोडा खाने वाले को -- आरोग्य ,आयु , बल , सुख, सुन्दर
संतान ,
और
सौंदर्य प्राप्त होता है!
१४
जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए!
१५
अनादर युक्त ,
अवहेलना
पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे!
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