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Friday, 11 November 2022

चिन्ता करने वाला आदमी

 

भारत माता की जय! 

कभी कभी कोई घटना ऐसी घटती है की आपको सोचने पर मजबूर करती हैं| ऐसा ही एक काल्पनिक किस्सा निचे दिया हैं|

एक आदमी ने एक विज्ञापन दिया कि उसे उसकी चिन्ता करने वाला एक आदमी चाहिये। वेतन वो जो मांगेगा, मिलेगा ।

विज्ञापन देखकर एक बेरोजगार तुरंत उसके पास गया और उसने उसके लिये चिन्ता करने वाली नौकरी के लिये 10000/- महीना सैलरी की मांग की । विज्ञापन देने वाले ने उसे 10000/- देना स्वीकार कर लिया और कहा कि तुम अभी से अपनी नौकरी शुरु कर सकते हो ।

नौकरी शुरु हो गई। अब मालिक ने उसे अपनी सारी चिंताएं बता दी ।

मेरी महिने की आमदनी 50000/- है ।

बच्चों की फिस 10000/- महीना है ।

मकान का भाडा 15000/- महीना है ।

घर का खाने पीने पर खर्च 15000/- है ।

मेरे रोज़ ऑफ़िस जाने का खर्च महिने भर का 5000/- है ।

धोबी का खर्च महिने का 3000/- है ।

काम वाली बाई को 2000/- महीना देना होता है ।

महिने मे एक बार हमलोग कहीं घुमने जाते हैं उसमे कम से कम 5000/- लग जाता है ।

अब चिन्ता करने वाला आदमी से बर्दाश्त नहीं हुआ, उसने कहा मालिक आपका अभी तक का खर्च 55000/- है और अभी आपने मेरा 10000/- सैलरी उसमे नहीं बताया है, तो सब लेकर 65000/- हो गए, आमदनी आपकी 50000/- है, बाकी पैसा कहाँ से लाएंगे ?

मालिक ने कहा उसी के लिये तो तुम्हे रखा है, अब तुम 10000/- ले रहे हो मेरी सारी चिन्ता करने के लिये तो मैं क्यों चिन्ता करुँ, अब ये चिन्ता तुम करो कि बाकी पैसा कहाँ से आएगा ।

इस घटना का सार इतना ही हैं की कुछ लोग अपनी आमदनी से ज्यादा के खर्च करने लगते हैं और फिर वो अतिरिक्त खर्च जी का जंजाल बन जाता हैं| ऐसा ही कुछ राजनीती में भी होता हैं| कुछ राजनेता जितने के लिए अवास्तव से आश्वासन दे देते हैं जिनको पूरा करने की चिंता वो तो नहीं करते पर हा जनता पर उन आश्वासनों का भार जरुर आ जाता हैं और ऐसे ही फिर देश का आर्थिक स्तर गिरने लगता हैं और अर्थव्यवस्था चौपट हो जाती हैं| मुफ्त में कुछ देंगे इस तरह के आश्वासन देने वाले राजनेताओं को इलेक्शन में खड़े होने का अधिकार ही नहीं रहना चाहिए|

यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद! अगर आप सहमत हो तो कृपया इसे शेयर करे और आपके विचार चर्चा हेतु निचे कमेंट करे| चर्चा करेंगे तभी बात लोगो तक पोहोचेंगी|

जय श्री राम!

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