भारत माता की जय!
कहानिया हमें जीवन की सिख देती हैं! ऐसी ही एक कहानी जो आपको बतायेंगी को गलत संगत का क्या असर होता हैं?
एक
बार एक शिकारी शिकार करने गया, शिकार नहीं मिला, थकान हुई
और एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था, तो वृक्ष
की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, डालियों के यहाँ-वहाँ हिलने के
कारण।
वहीं
से एक अतिसुन्दर हंस उड़कर जा रहा था, उस हंस ने देखा
की वह व्यक्ति बेचारा परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुँह पर
आ रही हैं तो ठीक से सो नहीं पा रहा हैं, तो वह हंस पेड़ की
डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उसकी छाँव में वह शिकारी आराम से सोयें। जब
वह सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर
देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर वहाँ से उड़ गया। तभी
शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा और उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने
तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया। हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने
कहा:- मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाँव दे रहा था, आपने
मुझे ही मार दिया? इसमें मेरा क्या दोष?
उस
समय उस शिकारी ने कहा: यद्यपि आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर हैं, आपके
संस्कार शुद्ध हैं, यहाँ तक की आप अच्छे इरादे से मेरे लिए
पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे, लेकिन आपसे एक
गलती हो गयी,
की
जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था। उस दुष्ट कौए के साथ
एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया हैं।
शिक्षा:
संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये। जो मन, कार्य और
बुद्धि से परमहंस हैं उन्हें कौओं की सभा से दूरी बनायें रखना चाहिये।
नोट: इस कहानी का सम्बन्ध केवल समाज के अराजक तत्वों से हैं|
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