साचा ओ सावळाजी देव, उनगामे परगटीया
जठे उजड बसती ओ शाम, नगरी थे रे किया,
जठे तुरकानी बसती ओ शाम, हिंदवानी थे रे किया,
जठे चोर बसंता ओ शाम, चोरारा डोर थे रे किया ।।१ ।।
थे तो साचा ओ सावळाजी बाबा देव, खाटूमे परंगटी या
कनीरामजी पधारे थारी जात, नारेळारी रपट पडे ॥२ ॥
बहू बिंदोल्यानें बेगीरे परणाय, गर जोडारी जात देवे
बाबा दिवर जिठाण्यांने दिज्यो लाडण पुत, झडूलारा जतन करे ॥३ ॥
नोट: कनीरामजी की जगह कवारे बच्चो के नाम लेना पिताजी ससुराजी, बिराजी के नाम लेना और फिर बाद में परिवार की बहन बेटियों के नाम लेना।
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