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Saturday, 22 March 2025

चली चली थे बनी



चली चली थे बनी बाबाजीरे दरबार 
देवोनी, बाबाजी मांग्या म्हाने सरब सवाग ॥ 
ओराने देऊ बाई पुडी ए बंधाय 
थाने कवर बाई सरब सवाग 
ओरारी पुडी बाई ढूळ ढूळ जाय 
घुळ रह्यो बनडीरो सरब सवाग ।। 
(इन मुजब, काकाजी, मामाजी का नांव लेना)
सवाग - कामन
बनडीरी माता दाळ दळोनी उडदारी, 
थे उडद, मुंग सब दळलो, सवाग-कामन कर ल्यो 
सवाग बांधे अल्ले, कामन बनीरा पल्ले ।। 
(काकी, मामी, भाभी, के नाम लेना)

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