चली चली थे बनी बाबाजीरे दरबार
देवोनी, बाबाजी मांग्या म्हाने सरब सवाग ॥
ओराने देऊ बाई पुडी ए बंधाय
थाने कवर बाई सरब सवाग
ओरारी पुडी बाई ढूळ ढूळ जाय
घुळ रह्यो बनडीरो सरब सवाग ।।
(इन मुजब, काकाजी, मामाजी का नांव लेना)
सवाग - कामन
बनडीरी माता दाळ दळोनी उडदारी,
थे उडद, मुंग सब दळलो, सवाग-कामन कर ल्यो
सवाग बांधे अल्ले, कामन बनीरा पल्ले ।।
(काकी, मामी, भाभी, के नाम लेना)
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