अस्वीकरण
यह किस्सा केवल कल्पना का कार्य हैं। इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं हैं।
किराये ने जान ले ली
कपूरथला जिले के लबाना गांव में झंडा सिंह और उसका दोस्त कादर रहते थे। बिस साल पहले कादर झंडा के घर किराये से रहने आया था, तब से दोनों में गहरी दोस्ती थी, इतनी की दोनों साथ खाते भी थे और घूमते भी थे।
एक दिन घर के किराये से लेकर दोनों में विवाद हो गया। इस बात का बहुत गुस्सा कादर को आ गया था। एक रात झंडा अपने खेत की निगरानी करने के लिए खेत में सोने गया था। अगली सुबह उसकी लाश मिली। झंडा की पत्नी निम्मो भी गांव वालों के साथ खेत में भागी भागी पोहोची। निम्मो ने अपने होश सँभालते हुए कहा, "कादर ने ही मेरे पती को मारा।" उधर गांव का चौकीदार रपट लिखाने पोलिस स्टेशन चला गया।
पहले कोई निम्मो की बात पर भरोसा नहीं कर रहा था। लेकिन फिर निम्मो ने किराये की बात बता दी। तब गांव वालों ने कादर को घसीटकर मौका-ए-वारदात पर लाया। जैसे सभी मुजरिम करते हैं वैसे ही कादर भी पहले अनजान बना रहा। लेकिन फिर लोगों ने थोड़ा जोर देकर पूछना शुरू किया। फिर गांव के सरपंच ने दो चमाट लगा कर पूछा 'बताओ कादर सच क्या हैं?'
अब कादर घबरा गया और फिर उसने अपना जुर्म कबूल किया। फिर कादर सरपंच और बाकी पंचायत सदस्यों के साथ उसके घर गया, वहा कादर ने वो छुरा छिपाकर रखा था जिससे उसने अपने दोस्त झंडा की जीवनरेखा समाप्त कर दी थी। अब कादर को पंचायत ने बंधक बना कर रख दिया और सबुत के तौर पर उस छुरे को अपने कब्जे में ले लिया। गांव वालों ने एकता बताई तभी कादर को वो पकड़कर रख पाए।
शाम तक पुलिस आयी। गांववालों ने छुरा और कादर को पुलिस के हवाले किया। आगे की करवाई के लिए पुरे पंचनामे पुलिस ने किये। पोस्ट मार्टम और केमिकल एग्जामिनेशन के लिए झंडा का शरीर पुलिस अपने साथ ले गयी। छुरा और कादर का शर्ट भी पुलिस ने जाँच के लिए दे दिया।
आगे और भी जांच पड़ताल हुई, पूछताछ हुई। ये बात सामने आयी की, झंडा की गौर मौजूदगी में कादर घर आता था और निम्मो के साथ गलत करता था, तंग आकर निम्मो ने सारी बात झंडा को बता दी थी। पहले झंडा ने भरोसा नहीं रखा। फिर अगले दिन झंडा खेत से जल्दी आ गया था तो उसने देखा की कादर निम्मो के दुपट्टे को खींच रहा हैं और बस उसी दिन से दोनों दोस्तों में झगड़े होने लगे। झंडा ने कादर को घर खाली करने के लिए भी कह दिया था। पर किराये के अग्रीमेंट की कोई लिखा पढ़ी नहीं थी इसीलिए कादर घर खाली नहीं कर रहा था। और इसी बात पर से दोनों में झगड़े हो गए थे।
जिसके साथ दिन रात घूमता था, उसकी ही पत्नी के साथ कादर गलत कर अपने दोस्त झंडा को धोखा दे रहा था। और जब रंगे हाथ गलत करते हुए पकड़ा गया तो, उसी दोस्त को मार दिया जिसने बिस साल से अपने घर में रहने दिया। और ये क्या बात हुई, बीस साल से किराया दे रहा था इसिलए अब घर नहीं खाली करेगा।
कैसा समय आ गया है। जिसे सहारा दो वो छुरा घोप देता हैं। इसीलिए सोच समझ कर अपने घर में किसी को भी किराये से रखना चाहिए। सोच समझ कर दोस्ती में भी अपने घरवालों को दोस्त के भरोसे छोड़ना चाहिए।
आगे मुकदमा चला। जिला अदालत में कादर को जेल की सजा सुनाई गयी।
इस किस्से से दो बाते सिख लीजिए:
दोस्त कितना भी अच्छा हो, उसके भरोसे घर की महिलाओं को मत छोड़ा करिये।
और संघटित हो कर ही गलत को रोका जा सकता हैं।
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