भारत माता की जय!
यूँ तो ये पढाई से जुडा ब्लॉग हैं पर पढाई करने की उमर में ही प्यार नाम के अँधेरे में कई लोग खो जाते हैं। इस अँधेरी गली में कई बार धोखा मिलता हैं तो कई बार जान गवानी पड़ती हैं। ये कहानी सिर्फ उस धोखे का एक काल्पनिक चित्रण हैं।
राजन की तड़प
चाहत
में इक बेकरारी सी है
कुछ
तो तेरे मेरे दरमियान है
आंखें
भी पत्थरा गई है
कुछ
तो खास उसके इंतजार में है
राजन मेडिकल कॉलेज में था। ये उसका तीसरा साल था। उसके कॉलेज में एक जुनिएर थी अरफा। कई बार मॉडर्न कपड़ो में भी आती थी। राजन को उसे देखते से ही प्यार हो गया था, पर कहने से डरता था। पर फिर भी ऐसे नहीं वैसे राजन अरफ़ा के साथ बात करने के तरीके ढूंढ ही लेता था।
समय बीतता गया, दोनों में दोस्ती गहराने लगी थी। राजन उसके खयालो में खोया रहने लगा और पढाई से ध्यान हट गया। मिड टर्म एग्जाम में पास भी होना मुश्किल हो गया था। राजन का दोस्त समीर उसके दिल का हाल जानता था। समीर ने सुझाव दिया वो एकबार अरफ़ा के साथ अपने दिल की बात कर ले।
फिर क्या बड़ी हिम्मत कर राजन ने पूरी तयारी की और आरफा को लंच डेट पर ले गया। दोनों ने खाना खाया और फिर आरफा के सामने घुटनो पर बैठ कर राजन ने फ़िल्मी स्टाइल में आरफा को प्रोपोज़ किया। राजन को जरा भी अंदाजा न था की आगे क्या होने वाला हैं।
आरफा ने उसे कस कर एक थप्पड़ मारा और कहा, "जरा तुमसे बात क्या कर ली तुम तो अपनी औकात भूल गए। तुम एक ££££££ हो और मेरे लायक बिलकुल नहीं हो।" और ये कह कर वो जाने लगी। राजन उसके पीछे पीछे गया तो उसने पाया होटल के बाहर समीर उसके लिए फूल लेकर खड़ा है और आरफा उसके साथ उसकी गाडी पर बैठ कर चली गयी।
एक ही पल में राजन का प्यार ( जो की सिर्फ एक शारीरिक आकर्षण था) बिखर गया और जिसे दोस्त समझ रहा था असल में वो तो दुश्मन से भी बत्तर था। उस समय राजन को किसी के सहारे की जरुरत थी - पर कोई न था। किसी तरह टूटे दिल के साथ घर पोहोचा और अपने आप को कमरे में बंद कर लिया।
कुछ देर बाद राजन की माँ ने उसका दरवाजा खट खटाया पर उसने कोई जवाब न दिया। अब माँ भी परेशान हो गयी और पूरा परिवार राजन के कमरे के बाहर जमा हो गया। दरवाजा न खुलने पर दरवाजा तोड़ दिया। अंदर देखा तो राजन फंदे से लटक कर तड़प रहा था। किसी तरह सबने मिल कर उसे फंदे से उतारा पर वो बेहोश हो चूका था।
घरवाले उसे दवाखाने गए। पर पोलिस केस के बगैर कौन डॉक्टर चेक करे। पोलिस केस भी हुआ। अब आत्महत्या के प्रयास का आरोप भारतीय दंड संहिता के धारा ३०९ के तहत राजन पर लग गया था। कमरे की छानबीन में एक खत मिला जिसमे राजन ने कुछ यु लिखा था -
अँधेरा
था ज़िन्दगी में और कुछ ख़ास नहीं।।
जिसे
हमने उजाला समझा उसे मेरा एहसास ही नहीं ।।
इधर धारा ३०९ की करवाई चल तो रही थी पर आरफा और समीर पर कोई पुख्ता केस न बन सका।
सच्चा प्यार किया राजन ने, दोस्त की बात मानी राजन ने और जिंदगी भर उस दर्द को भी राजन ने ही सहा। न आरफा के साथ कुछ बुरा हुआ न समीर का कुछ टेढ़ा हुआ। क्यों की यही प्यार नाम के अँधेरी खायी का सच है - जो प्यार करेगा वो तकलीफ पायेगा।
जैसा राजन का हाल हैं वो आपका न हो इसके लिए ये समझें की जिसे प्यार समझ रहे हो वो सिर्फ शारीरिक आकर्षण हैं। कई बार आपको ये लगता हैं की सिनेमा में तो प्यार को ताकदवर और सक्सेस की वजह बताया गया है तो सच ही होंगा - पर असलियत ये हैं की सिनेमा की प्रेम कहानी में कोई सच्चाई नहीं होती। पढाई की उम्र में सिर्फ पढाई करे।
कहानी दुःख भरी हैं पर ऐसा कई होनहार लड़के लड़कियों के साथ होता आया हैं। इसीलिए अभी सिर्फ पढाई करे - प्रेम कर विवाह करने के लिए पूरी उम्र पड़ी हैं। और अगर गलती से प्यार हो भी जाए तो इंकार पर अपने आप को सजा न दे। आपकी भावनाये, आपकी तकलीफ और आपके विचार केवल आपके हाथो में हैं।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट करिये और इसे शेयर भी करिये।
ek aur interfaith wali love story - khud likhate ho ya kahi se churai hain bhai? aur itani dukhad ant wali love story kyu likhte ho?
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