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Friday, 5 September 2025

ए आय संग बाते: #काला_कानून_वापस_लो

#काला_कानून_वापस_लो
ये क्यों ट्रेंड हो रहा है? @grok




यह हैशटैग हाल के सुप्रीम कोर्ट फैसले के विरोध में ट्रेंड कर रहा है, जिसमें 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए भी TET पास करना अनिवार्य किया गया है। उत्तर प्रदेश के शिक्षक संघ इसे 'काला कानून' मानकर वापसी की मांग कर रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए समाचार स्रोत देखें।

ये TET क्या है? @grok 

TET का मतलब Teacher Eligibility Test है, जो भारत में शिक्षक बनने के लिए एक योग्यता परीक्षा है। यह NCTE द्वारा आयोजित की जाती है और सरकारी स्कूलों में नौकरी के लिए अनिवार्य है। हालिया सुप्रीम कोर्ट फैसले ने इसे 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए भी जरूरी बना दिया है।

भारत में शिक्षक बनने के लिए प्राइमरी, सेकेंडरी, हायर सेकंडरी और कॉलेज इन चारों स्तरों पर क्या क्या डिग्रियां लेनी पड़ती है? @grok 

भारत में शिक्षक बनने के लिए योग्यताएं (2025 तक):


प्राइमरी (1-5): 12वीं के बाद D.El.Ed या B.El.Ed/B.Ed, TET/CTET पास।


सेकेंडरी (6-10): ग्रेजुएशन + B.Ed, TET/CTET पास।


हायर सेकेंडरी (11-12): पोस्ट-ग्रेजुएशन + B.Ed, TET/STET पास।


कॉलेज: मास्टर्स + UGC-NET/SET, PhD उच्च पदों के लिए।


विवरण राज्य अनुसार भिन्न हो सकता है, NCTE दिशानिर्देश देखें।


भारत में शिक्षक बनने के लिए प्राइमरी, सेकेंडरी, हायर सेकंडरी और कॉलेज इन चारों स्तरों पर क्या क्या डिग्रियां लेनी पड़ती है? @grok

TET और CTET परीक्षाएँ भारत में 2011 से आयोजित हो रही हैं। पहली CTET 26 जून 2011 को CBSE द्वारा कराई गई थी, जबकि विभिन्न राज्यों में TET भी उसी वर्ष शुरू हुए, जैसे UPTET नवंबर 2011 में। यह RTE एक्ट 2009 के तहत NCTE द्वारा शुरू किया गया था।


मतलब यह एक जरूरी परीक्षा हो गई है जो हर शिक्षक ने देनी चाहिए, फिर इसका विरोध क्यों हो रहा है? @grok

विरोध मुख्य रूप से 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों से है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने TET को उनके लिए भी अनिवार्य कर दिया है। वे इसे अन्यायपूर्ण मानते हैं, क्योंकि इससे नौकरी की सुरक्षा और प्रमोशन पर असर पड़ सकता है। शिक्षक संघों का कहना है कि पुराने शिक्षकों पर बोझ बढ़ेगा और कई असफल हो सकते हैं। कोर्ट ने 2 साल की मोहलत दी है। अधिक जानकारी के लिए समाचार स्रोत देखें।



ए आय संग बाते: ६० करोड़ की धोखाधड़ी का मामला

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है.
क्या है पूरा मामला @grok
यह मामला 2015-2023 के बीच का है, जिसमें शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा पर व्यापारी पृथ्वीराज कोठारी से बेस्ट डील टीवी कंपनी के नाम पर 60 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप है। धन को बिजनेस विस्तार के लिए लिया गया था, लेकिन व्यक्तिगत खर्चों में इस्तेमाल किया गया। अगस्त 2025 में जुहू पुलिस में केस दर्ज, अब EOW ने LOC जारी किया है ताकि वे देश छोड़ न सकें। जांच जारी है।

किन प्रावधानों के तहत केस दर्ज हुआ था @grok?

केस भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 34 (सामान्य इरादा) के तहत जुहू पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जो अब EOW के पास है। जांच जारी है।


शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा हमेशा कोई न कोई अपराधिक गतिविधि के कारण चर्चा में रहते है। अबतक इन दोनों का नाम किन किन मामलों में चर्चा में रहा है? @grok

शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा से जुड़े प्रमुख मामले:


1. 2007: रिचर्ड गेरे चुंबन विवाद - अश्लीलता का केस, 2022 में खारिज।

2. 2013: IPL बेटिंग स्कैंडल - राज पर मैच फिक्सिंग के आरोप।

3. 2017: टेक्सटाइल कंपनी से 24 लाख की ठगी का आरोप राज पर।

4. 2021: पोर्नोग्राफी केस - राज की गिरफ्तारी, बाद में जमानत।

5. 2024: SC/ST एक्ट के तहत शिल्पा पर केस (शब्द प्रयोग के लिए)।

6. 2025: 60 करोड़ की ठगी का केस - दोनों पर LOC जारी, जांच जारी।


ये प्रमुख उदाहरण हैं; विस्तार के लिए समाचार स्रोत देखें।


लुक आउट नोटिस जारी किया है इसका मतलब क्या ये ले सकते है कि दोनों अभी फरार है? @grok

नहीं, लुकआउट सर्कुलर (LOC) का मतलब यह नहीं है कि वे फरार हैं। यह जांच के दौरान उन्हें देश छोड़ने से रोकने के लिए जारी किया जाता है, खासकर अगर वे अक्सर विदेश जाते हैं। यह एक सावधानीपूर्ण कदम है; फरार होने का मतलब होता है गिरफ्तारी से बचने के लिए छिपना। जांच जारी है।


शिल्पा शेट्टी पर sc st का केस हुआ है, फिर भी ये बाहर कैसे है? पैसा और न*निया एक साथ हो तो क्या कुछ नहीं हो सकता!


ए आय संग बाते: अवताड़े केस

#AwatadePaiseDo
हे का ट्रेंड होत आहे @grok
हे ट्रेंड नवनीत अवताडे यांच्या २५००-३३०० कोटी रुपयांच्या पॉन्झी स्कॅमबद्दल आहे. महाराष्ट्रात हजारो लोकांची फसवणूक झाली, जीवन बचत, जमीन, सोने गमावले. ED तपास करत आहे. अजित पवार यांनी पैसा परत करण्याची मागणी केली आहे.
पोंझी स्कॅम साठी कुठले कुठेल कायदे महाराष्ट्रात लागू आहेत? @grok 
#जय_महाराष्ट्र
महाराष्ट्रात पोंझी स्कॅमसाठी लागू होणारे मुख्य कायदे:

१. महाराष्ट्र ठेवीदार हित संरक्षण कायदा, १९९९ (एमपीआयडी कायदा) - ६ वर्षांपर्यंत तुरुंगवास, दंड, मालमत्ता जप्ती.

२. पुरस्कार चिट्स आणि मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बॅनिंग) कायदा, १९९८.

३. अनियंत्रित ठेव योजना बंदी कायदा, २०१९.

४. भारतीय दंड संहिता कलम ४२० (फसवणूक) इत्यादी.

जुलै २०२५ मध्ये कायद्यात कठोर दंड वाढवण्याच्या सुधारणा प्रस्तावित आहेत.
नवनीत अवताडे याच्या पोंझी स्कीम मध्ये साधारण किती लोकांचे नुकसान झाले आहे?
@grok
नवनीत अवताडे यांच्या पोंझी स्कॅममध्ये अंदाजे हजारो लोकांचे नुकसान झाले आहे, मुख्यतः महाराष्ट्रातील शेतकरी, छोटे व्यावसायिक आणि निवृत्त व्यक्ती. एकूण फसवणूक २५००-३३०० कोटी रुपयांची आहे. ED तपास करत आहे.
ईडी ला या scam बद्दल कसं माहित पडलं? @grok
ईडीला हे स्कॅम माहित पडले ते पीडितांच्या अनेक पोलिस तक्रारींमुळे. पैशांची लॉन्डरिंग आणि FEMA उल्लंघनाच्या आरोपांमुळे ED ने तपास सुरू केला. ED आता परदेशात पाठवलेल्या पैशांचा मागोवा घेत आहे.
किती जिल्ह्यातील लोकं या स्कॅम चे बळी ठरले आहेत? या स्कॅम मध्ये पैसे गमावल्या मुळे काही आत्महत्या झाल्या आहेत का? @grok
नवनीत अवताडे पोंझी स्कॅमने महाराष्ट्रातील ग्रामीण आणि अर्ध-शहरी भागातील अनेक जिल्ह्यांतील हजारो लोकांना प्रभावित केले आहे, जसे की पुणे, अहमदनगर, सोलापूर इत्यादी. नेमके किती जिल्हे याबाबत स्पष्ट आकडा उपलब्ध नाही.

पैसे गमावल्यामुळे आत्महत्यांच्या घटनांची कोणतीही पुष्टी झालेली माहिती नाही. ED तपास सुरू आहे.
नवनीत अवताडे ला अटक झाली आहे की कसे?
@grok
नवनीत अवताडे (किंवा नवनाथ अवताडे) यांना अद्याप अटक झालेली नाही. जून २०२५ मध्ये स्कॅम उघड झाल्यानंतर ED, पुणे आणि सातारा पोलिस तपास करत आहेत. पैशांची लॉन्डरिंग आणि FEMA उल्लंघनाच्या आरोपांवर कारवाई सुरू आहे, पण अटकेची पुष्टी नाही.
म्हणजे लाखो गरीब #मराठी लोकांना गंडवून हा माणूस फरार झाला आहे? @grok
हो, उपलब्ध अहवालांनुसार नवनाथ अवताडे स्कॅम उघड झाल्यानंतर फरार झाले आहेत आणि अद्याप अटक झालेली नाही. ED आणि पोलिस तपास करत आहेत. हजारो मराठी लोक, मुख्यतः गरीब शेतकरी आणि छोटे व्यावसायिक, प्रभावित झाले आहेत, एकूण नुकसान २५००-३३०० कोटी रुपयांचे.
मनसे कार्यकर्ते आणि मराठी बोलण्याचा आग्रह करणारे किती हँडल्स या स्कॅम च्या विरोधात बोलत आहेत? @grok
उपलब्ध एक्स सर्चनुसार, मनसे कार्यकर्ते किंवा मराठी बोलण्याचा आग्रह करणाऱ्या प्रमुख हँडल्समध्ये नवनीत अवताडे पोंझी स्कॅमच्या विरोधात बोलणारे कोणतेही ठळक पोस्ट सापडले नाहीत. कदाचित ही बाब कमी चर्चेत आहे. अधिक माहितीसाठी तपास सुरू आहे.
गुन्हा दाखल झाल्या पासून आजपर्यंत किती महिने उलटले आहेत, या प्रकरणात? चार्ज शीट दाखल झाली किंवा कसे? @grok
उपलब्ध माहितीनुसार, जून २०२५ मध्ये गुन्हा दाखल झाला, म्हणजे आज (४ सप्टेंबर २०२५) पर्यंत सुमारे ३ महिने उलटले आहेत. चार्ज शीट दाखल झाल्याची कोणतीही पुष्टी उपलब्ध नाही; ED आणि पोलिसांचा तपास अद्याप सुरू आहे.
अशे गुन्हे कितीदा पूर्ण भारतात घडले आहेत आणि त्याची नावे काय आहेत. रीतसर यादी द्यावी @grok
भारतात असे पॉन्झी स्कॅम अनेकदा घडले आहेत; नेमके किती हे सांगणे कठीण, कारण लहान-मोठे हजारो आहेत. प्रमुखांची यादी:

1. अनुभव टेक प्लांटेशन स्कॅम (1992-1998)
2. सरधा ग्रुप स्कॅम (2013)
3. स्पीक एशिया स्कॅम (2011)
4. PACL (पर्ल अॅग्रो) स्कॅम (2016)
5. सहारा इंडिया स्कॅम (2014)
6. रोज व्हॅली स्कॅम (2013)
7. IMA पॉन्झी स्कॅम (2019)
8. अंबिडंट स्कॅम (2018)
9. नवनीत अवताडे स्कॅम (2025)

अधिक माहितीसाठी ED/पोलिस रिपोर्ट तपासा.

ए आय संग बाते: GST के नए टैक्स

हेलो @AskPerplexity 
#NextGenGST में क्या क्या नए प्रावधान आए है?

#NextGenGST के तहत सरकार ने शिक्षा से जुड़ी वस्तुओं जैसे मैप्स, चार्ट्स, ग्लोब, पेंसिल, शार्पनर, एक्सरसाइज बुक्स और नोटबुक्स पर जीएसटी पूरी तरह खत्म कर दिया है, यानी अब इन पर ZERO TAX है।
इसका मकसद शिक्षा सामग्री को छात्रों और अभिभावकों के लिए और सस्ता बनाना है, जैसा कि आपकी दी हुई इमेज में भी बताया गया है।

इमेज के अलावा किसानों के लिए और क्या नए सुधार किए गए है? @AskPerplexity

किसानों के लिए #NextGenGST के अलावा भी सरकार ने कई सुधार किए हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना जिसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को सीधी वित्तीय सहायता मिलती है।

माइक्रो-इरीगेशन (सूक्ष्म सिंचाई) योजनाएं, बीमा कवर के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, और ग्रामीण कृषि बाजारों के विकास के लिए ई-नाम पोर्टल जैसे कदम भी किसानों की आय और सुरक्षा बढ़ाने के लिए लागू किए गए हैं। 

इसके अलावा, कृषि यंत्रों और इनपुट्स पर कर्ज आसान शर्तों पर उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि खेती में लागत कम हो और उत्पादकता बढ़े।

रोजमर्रा की कई चीजें gst सुधार के कारण सस्ती होंगी। इमेज के अलावा ऐसी कौन सी चीजें है जिनका gst घटाया गया है? @AskPerplexity

आपकी दी हुई इमेज में हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथपेस्ट, साबुन, घी, पनीर, दूध की बोतल, नैपकिन व डायपर जैसी रोजमर्रा की चीजों पर जीएसटी कम किया गया है।

इसके अलावा #NextGenGST के तहत घरेलू रसोई के सामान जैसे प्रेशर कुकर, मिक्सर-ग्राइंडर, बिजली के बल्ब, और कुछ कपड़ों आदि पर भी टैक्स दरें घटाई गई हैं, जिससे ये आइटम्स आम लोगों के लिए और सस्ते हो गए हैं।

इमेज के अलावा नए gst के अनुसार स्वास्थ्य सेवा में किन किन चीजों के tax को घटाया गया है और किन चीजों पर tax बढ़ा है? @AskPerplexity

#NextGenGST के तहत स्वास्थ्य सेवाओं में कई अहम चीजों पर टैक्स घटाया गया है—जैसे व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा (अब 0%), थर्मामीटर, मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, और सभी डायग्नोस्टिक किट्स (अब 5%, पहले 12% या 18%)।

हाल की घोषणाओं में स्वास्थ्य सेक्टर में किसी जरूरी चीज पर टैक्स बढ़ाने की सूचना नहीं आई है—यानी राहत ही राहत दी गई है!

कौन कौन से इलेक्ट्रॉनिक आइटम सस्ते सस्ते हुए है? इमेज के अलावा बाकी item की लिस्ट दीजिए @AskPerplexity

आपकी इमेज में दिखाए गए एसी, बड़े टीवी, मॉनिटर, प्रोजेक्टर, डिशवॉशर और वॉशिंग मशीन पर GST घटाकर 18% किया गया है। 

इसके अलावा हालिया GST सुधारों के तहत रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव ओवन, इलेक्ट्रिक आयरन, पंखा, जूसर-मिक्सर, वाटर प्यूरीफायर, वैक्यूम क्लीनर, लैपटॉप और कुछ मोबाइल फोन्स आदि जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स पर भी टैक्स में छूट या दरों में कमी की गई है। 

इन बदलावों का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक सामान को आम लोगों के लिए ज्यादा सस्ता और सुलभ बनाना है।

स्वास्थ्य के अलावा और किस क्षेत्र में gst में राहत मिली है @AskPerplexity

स्वास्थ्य के अलावा #NextGenGST में शिक्षा, कृषि, रोजमर्रा की वस्तुएं और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कई क्षेत्रों में भी बड़ी राहत दी गई है।

शिक्षा सामग्री (पेंसिल, नोटबुक, चार्ट्स आदि) पर टैक्स खत्म किया गया है, कृषि उपकरणों और मशीनों पर GST काफी घटाया गया है, रोजमर्रा के सामान (तेल, शैम्पू, दूध, साबुन, पनीर, डायपर, आदि) सस्ते हुए हैं, और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स (एसी, टीवी, वॉशिंग मशीन आदि) पर भी टैक्स दरें कम की गई हैं। 

इन बदलावों से आम लोगों का खर्च कम और ज़िंदगी कुछ आसान हो गई है!

ऑटोमोबाइल सेक्टर के gst में क्या बदलाव हुए है? इमेज के अलावा उत्तर दीजिए। @AskPerplexity

इमेज में दिखाए गए बदलावों के अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर में कुछ और महत्वपूर्ण GST सुधार हुए हैं। 

इलेक्ट्रिक वाहनों पर GST 12% से घटाकर सिर्फ 5% किया गया है, जिससे ई-व्हीकल्स ज्यादा किफायती हो गए हैं। 

ऑटो पार्ट्स, बैटरी, और कुछ एसेसरीज पर भी टैक्स दरों में छूट दी गई है, ताकि रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की लागत कम हो। 

ऐसे सुधारों का मकसद पूरी ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ावा देना और इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने को प्रोत्साहित करना है।

टेक्सटाइल और सिलाई के क्षेत्र में क्या बदलाव #NextGenGST में हुए है? @AskPerplexity


#NextGenGST के तहत टेक्सटाइल और सिलाई क्षेत्र में भी टैक्स में राहत दी गई है।

कपड़े, धागा, रेडीमेड वस्त्र, सिलाई मशीन और उसके पार्ट्स, कढ़ाई के सामान, बैग्स, और कुछ घरेलू कपड़ों पर GST दरें घटाई गई हैं (ज्यादातर आइटम्स पर अब 5% GST), जिससे आम लोगों के लिए ये सामान सस्ते हो गए हैं। 

टेक्सटाइल मैक्युन और रोलर, फैब्रिक यार्न, कंबल, टेबल क्लॉथ, टॉवल्स आदि जैसी चीजें भी अब पहले के मुकाबले कम टैक्स में उपलब्ध हैं। 

इस बदलाव से टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को सीधा फायदा मिलेगा।
ये तो हो गए आम जनता के जरूरत के सेक्टर। ऐल्कोहॉल और निकोटिन प्रोडक्ट पर क्या gst बढ़ा है? @AskPerplexity

ए आय ने इसका उत्तर गलत दिया। वास्तव में निकोटिन और ऐल्कोहॉल पर ४०% gst लगाया गया है।

अल्कोहल और निकोटिन प्रोडक्ट्स (जैसे शराब, सिगरेट, तम्बाकू) पर GST दरों में कोई राहत नहीं दी गई है, बल्कि ये पहले की तरह ही उच्च टैक्स स्लैब (28% के साथ-साथ भारी सेस) में रहते हैं।

सरकार ने इन “sin goods” पर टैक्स न बढ़ाया है, न घटाया—ताकि इनके सेवन को हतोत्साहित किया जा सके और जरूरी चीजों की तुलना में ये महंगे ही बने रहें।

पर इतना टैक्स बढ़ाकर भी नशे की लत क्यों नहीं छुटती? @AskPerplexity

यह बहुत अच्छा सवाल है! 

टैक्स बढ़ाना नशे की लत रोकने के लिए एक असरदार तरीका जरूर है, पर असल में लत सिर्फ पैसों से नहीं छूटती—इसके पीछे मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक वजहें भी होती हैं।  

लोगों को नशे की लत छुड़ाने के लिए काउंसलिंग, जागरूकता, सही समर्थन और मेडिकल मदद की भी जरूरत होती है—सिर्फ महंगे होने से सबकी आदतें नहीं बदलतीं।

इसीलिए हर बार ए आय पर भरोसा नहीं रखना चाहिए। कभी स्वयं भी पढ़ना चाहिए।







Wednesday, 3 September 2025

ए आय संग बाते: नर्कों पॉलीग्राफ टेस्ट

प्रश्न १: हेलो @AskPerplexity 
नर्कों पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है?
उत्तर: नर्कों पॉलीग्राफ टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मशीन के ज़रिए व्यक्ति के शरीर में होने वाले बदलाव जैसे दिल की धड़कन, रक्तचाप और साँस लेने की गति को मापा जाता है, ताकि पता किया जा सके कि वह सच बोल रहा है या झूठ।  
इसका इस्तेमाल अक्सर अपराध या जांच के मामलों में किया जाता है, लेकिन यह सौ प्रतिशत सही परिणाम नहीं देता।
प्रश्न २: कौन से देशों में इस तरह के टेस्ट के रिपोर्ट को एक कानूनी सबूत का दर्जा दिया गया है?
@AskPerplexity
उत्तर: ज्यादातर देशों में पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट को कोर्ट में कानूनी सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता, जैसे भारत, अमेरिका और यूके।  
कुछ अमेरिकी राज्यों में इसे सीमित परिस्थितियों में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन विश्व स्तर पर इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहते हैं।
प्रश्न ३: इसकी विश्वसनीयता पर सवाल क्यों उठते है @AskPerplexity ?
उत्तर: पॉलीग्राफ टेस्ट की विश्वसनीयता पर इसलिए सवाल उठते हैं क्योंकि यह सीधे तौर पर झूठ या सच का पता नहीं लगाती, बल्कि केवल शरीर की प्रतिक्रिया मापती है।  
उत्तेजना, तनाव या डर के कारण भी शरीर में बदलाव आ सकते हैं, जिससे रिज़ल्ट गलत आ सकता है।
प्रश्न ४: इस टेस्ट का कोई इतिहास है? जैसे किसने इसे इवेंट किया? क्या कारण था? @AskPerplexity
उत्तर: पॉलीग्राफ टेस्ट का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत से जुड़ा है, जिसे सबसे पहले 1921 में अमेरिकी पुलिस अधिकारी जॉन एगस्टस लार्सन ने विकसित किया था।  
इसका मकसद था अपराध जांच में ऐसे यंत्र का इस्तेमाल करना, जो शरीर की प्रतिक्रियाओं के आधार पर सच या झूठ का अनुमान लगा सके।
प्रश्न ५: जब ये टेस्ट बनाया ही अपराधिक जांच के लिए है तो फिर इसे कानूनन मान्यता क्यों नहीं दी गई @AskPerplexity ?
उत्तर: @rinkutai222361 पॉलीग्राफ टेस्ट को कानूनन मान्यता न देने का मुख्य कारण इसकी वैज्ञानिक विश्वसनीयता पर संदेह है, क्योंकि यह हमेशा सही नतीजे नहीं देता।  
शरीर की प्रतिक्रियाएं कई कारणों से बदल सकती हैं, जिससे निर्दोष व्यक्ति भी टेस्ट में फंस सकता है या अपराधी बच सकता है, इसलिए कोर्ट इसका भरोसेमंद सबूत नहीं मानती।
प्रश्न: अगर ये विश्वसनीय नहीं है तो फिर अपराध की गुत्थी सुलझाने एवं जल्द से जल्द न्याय के लिए और क्या कर सकते है? @AskPerplexity
उत्तर: @rinkutai222361 जब केवल पॉलीग्राफ टेस्ट भरोसेमंद नहीं होता, तो जांच एजेंसियां दूसरे वैज्ञानिक तरीके अपनाती हैं, जैसे डीएनए टेस्टिंग, फॉरेंसिक जांच, फिंगरप्रिंट, सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्डिंग और डिजिटल सबूत का विश्लेषण।  
साथ ही पुलिस की पारंपरिक पूछताछ, गवाहों के बयान और क्राइम सीन री-क्रिएशन भी अपराध सुलझाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न: जल्दी अपराध सुलझाने के लिए एवं जल्दी न्याय करने के लिए क्या नियम बदलने की आवश्यकता है? @AskPerplexity
उत्तर: @rinkutai222361 जल्दी अपराध सुलझाने और न्याय देने के लिए जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता, तकनीक का बेहतर इस्तेमाल और अदालतों में लंबित मामलों की सुनवाई तेज़ करने के नियमों में सुधार जरूरी है।  
इसके अलावा, पुलिस और फॉरेंसिक लैब की क्षमता बढ़ाना, डिजिटल सबूतों की मान्यता और सुनवाई की समयबद्ध प्रणाली लागू करना भी मददगार साबित हो सकता है।
प्रश्न: भारत में किन किन नियमों को सुधारने की आवश्यकता ज्यादा है? @AskPerplexity
उत्तर: @rinkutai222361 भारत में सबसे अहम सुधार पुलिस जांच प्रक्रिया, फॉरेंसिक साइंस लैब की क्षमता, और अदालतों में मामलों की सुनवाई में तेजी लाने से जुड़े हैं।  
इसके अलावा, केस फाइलिंग और सुनवाई की प्रक्रिया को डिजिटल बनाना, गवाहों को सुरक्षा देना, और झूठे केस या जांच में देरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के नियम भी मजबूत करने की जरूरत है।
प्रश्न: इस पूरी चर्चा का दो लाइन में क्या सारांश दे सकते हो @AskPerplexity ?
उत्तर: @rinkutai222361 अपराध सुलझाने और जल्दी न्याय के लिए जांच प्रक्रिया, फॉरेंसिक और अदालतों की व्यवस्था में पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और क्षमता बढ़ाना बेहद जरूरी है।  
इन बदलावों से जांच तेज़, निष्पक्ष और विश्वसनीय बन सकती है।
प्रश्न: इन सब बदलावों के लिए एक नागरिक को क्या करना चाहिए @AskPerplexity ?
उत्तर: @rinkutai222361 एक नागरिक के तौर पर आप न्याय व्यवस्था से जुड़े सुधारों के लिए जागरूक रह सकते हैं, सही जानकारी दूसरों तक पहुंचा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर जन प्रतिनिधियों या सरकार को सुझाव दे सकते हैं।  
इसके अलावा, जब भी मौका मिले, कानून और व्यवस्था के पालन में सहयोग देना और लोकतांत्रिक माध्यमों से अपनी आवाज़ उठाना भी बदलाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

ए आय संग वार्ता: जीमेल

प्रश्न १: हेलो @grok 
ये बताइए भारत में कितने एंड्रायड यूजर्स है? एक आंकड़ा।
उत्तर: भारत में 2025 तक लगभग 830 मिलियन एंड्रॉइड यूजर्स हैं (स्रोत: विभिन्न रिपोर्ट्स जैसे Statcounter और GSMA अनुमान)।
प्रश्न २: मतलब कम से कम इतने गूगल यूजर्स भी है। इन सभी यूजर्स के जरिए गूगल कितना कमा लेता है एक महीने में? @grok एक जरा अंदाजा बताना। 
उत्तर: भारत में गूगल की अनुमानित मासिक कमाई उपयोगकर्ताओं से (मुख्यतः विज्ञापनों व ऐप स्टोर से) लगभग 2,500-3,000 करोड़ रुपये है, 2025 के अनुमानों के आधार पर (स्रोत: Economic Times, MAGNA रिपोर्ट्स)। यह संख्या उपयोगकर्ता गतिविधि पर निर्भर करती है।
प्रश्न ३: गूगल जैसी कंपनी के लिए जिसका व्यापार पूरी दुनिया में फैला है, उसके लिए भारत जैसे देश का बहिष्कार करके अपनी सुविधाओं को बंद करने से कितना नुकसान होगा? @grok 
उत्तर: गूगल की वैश्विक वार्षिक कमाई लगभग 371 अरब डॉलर है। भारत से अनुमानित कमाई 3-4 अरब डॉलर (करीब 1%) है, मुख्यतः विज्ञापनों और ऐप स्टोर से। बहिष्कार से यह नुकसान होगा, लेकिन कुल व्यापार पर सीमित प्रभाव, हालांकि बाजार विकास रुक सकता है। (स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स, स्टेटिस्टा)
प्रश्न ४: अगर रशिया, चाइना और भारत से होने वाले मुनाफे की बात कलेक्टिवली सोचे तो कितना है? @grok 
उत्तर: गूगल की अनुमानित वार्षिक कमाई रूस से ~0.3 अरब डॉलर, चीन से (विज्ञापनदाताओं से) ~18 अरब डॉलर, भारत से ~4 अरब डॉलर है। कुल मिलाकर ~22 अरब डॉलर, वैश्विक कमाई (371 अरब डॉलर) का लगभग 6%। (स्रोत: Morning Brew, Economic Times, Statista अनुमान 2025)
प्रश्न ५: अगर ये मान ले कि gmail और गूगल की सुविधाएं केवल अमेरिका तक ही सीमित कर दी गई तो, गूगल के टर्नओवर पर क्या असर पड़ेगा? @grok
उत्तर: गूगल की वैश्विक वार्षिक कमाई लगभग 371 अरब डॉलर है (2025 अनुमान)। अमेरिका से ~49% (~180 अरब डॉलर) आती है। सुविधाएं केवल अमेरिका तक सीमित करने से अन्य क्षेत्रों से ~51% कमाई का नुकसान होगा, टर्नओवर पर भारी असर पड़ेगा, हालांकि कुछ वैश्विक विज्ञापन प्रभावित हो सकते हैं। (स्रोत: अल्फाबेट रिपोर्ट्स, स्टेटिस्टा)
प्रश्न ६: अगर किसी एंड्रॉयड फोन में Gmail के बिना लॉगिन करना हो तो क्या पर्याय है? @grok
उत्तर: एंड्रॉयड फोन में Google अकाउंट के बिना सेटअप संभव है, लेकिन प्ले स्टोर, बैकअप आदि सीमित होंगे। विकल्प:
1. गैर-Gmail ईमेल (जैसे Yahoo, Outlook) से Google अकाउंट बनाएं: accounts.google.com पर जाकर।
2. अकाउंट स्किप करें: सेटअप के दौरान "Skip" चुनें, लेकिन Google सेवाएं नहीं मिलेंगी।
3. थर्ड-पार्टी ऐप स्टोर (जैसे F-Droid) इस्तेमाल करें।
पूर्ण फीचर्स के लिए Google अकाउंट जरूरी है। (स्रोत: Android आधिकारिक गाइड, TechRadar)
प्रश्न ७: मतलब गूगल बंद होने से काम नहीं रुकेगा। मै आपके साथ ऐसे ही मोबाइल ब्राउजर में बाते कर सकती हु! रही बात X और grok ऐप को डाउनलोड करने की तो हर कंपनी का अपना ऐप स्टोर भी तो होगा? किन किन मोबाइल ब्रांड्स का अपना ऐप स्टोर है?
उत्तर: कई मोबाइल ब्रैंड्स के अपने ऐप स्टोर हैं, जैसे:
- सैमसंग: Galaxy Store
- हुआवेई: AppGallery
- शाओमी: GetApps/Mi Store
- ओप्पो/रियलमी: OPPO App Market
- वीवो: V-Appstore
- अमेज़न: Amazon Appstore (फायर डिवाइस के लिए)
ये Google Play के विकल्प हैं, लेकिन उपलब्ध ऐप्स सीमित हो सकते हैं। (स्रोत: BuildFire, Business of Apps, 2025 रिपोर्ट्स)
प्रश्न ८: इनमें से कितने ब्रांड अमेरिकन है? @grok
उत्तर: इनमें से केवल एक ब्रांड अमेरिकन है: अमेज़न (Amazon Appstore)। बाकी सब गैर-अमेरिकन हैं - सैमसंग (दक्षिण कोरियाई), हुआवेई, शाओमी, ओप्पो/रियलमी, वीवो (सभी चीनी)। (स्रोत: कंपनी वेबसाइट्स, विकिपीडिया)
प्रश्न ९: और कौन कौन से अमेरिकन ब्रांड भारत में बिकते है @grok?
उत्तर: भारत में बिकने वाले प्रमुख अमेरिकी स्मार्टफोन ब्रांड्स में एप्पल (iPhone), गूगल (Pixel), और मोटोरोला शामिल हैं। मोटोरोला की शिपमेंट Q2 2025 में 86% बढ़ी। अन्य जैसे BLU कम लोकप्रिय हैं। (स्रोत: Counterpoint Research, 2025)
प्रश्न १०: हेलो @grok भारत के कौन से मोबाइल ब्रांड है? 
उत्तर: भारत के प्रमुख देशी मोबाइल ब्रांड्स में Lava, Micromax, Karbonn, Intex, iBall, LYF (Reliance Jio), Spice, Zen, और Celkon शामिल हैं। Lava और LYF अभी सक्रिय हैं, जबकि Micromax और Karbonn बजट सेगमेंट में हैं। (स्रोत: 99marketingtips, 2025)

ए आय संग बाते: मराठा आरक्षण

प्रश्न १: जय महाराष्ट्र @AskPerplexity
#ThankYouDevaBhau 
मराठा आरक्षण क्या है?
लिंक: https://x.com/rinkutai222361/status/1962930188007977064?t=MYcIw2JexyFhgmbPQEe_SQ&s=19
उत्तर: मराठा आरक्षण महाराष्ट्र राज्य में मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की नीति है।  
इसका उद्देश्य मराठा समाज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारना है, लेकिन यह मुद्दा कई बार कानूनी और राजनीतिक बहस का विषय भी रहा है।
प्रश्न २: किस तरह की कानूनी बहस मराठा आरक्षण पर हुई है @AskPerplexity ?
उत्तर: मराठा आरक्षण को लेकर प्रमुख कानूनी बहस यह रही है कि क्या इस आरक्षण से सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50% आरक्षण की सीमा पार हो जाती है।  
सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में महाराष्ट्र सरकार के मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया, क्योंकि कोर्ट के अनुसार यह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC) की श्रेणी में उचित रूप से साबित नहीं हो पाया था।  
इस मुद्दे पर राज्य और केंद्र सरकारों के बीच भी मतभेद और कई बार विधानसभा में चर्चा हुई है।
प्रश्न ३: किस कैटेगरी के तहत मराठा आरक्षण को मान्यता दी गई है? @AskPerplexity 
उत्तर: मराठा आरक्षण को महाराष्ट्र में “सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग” यानी SEBC (Socially and Educationally Backward Class) कैटेगरी के तहत मान्यता दी गई थी।  
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया, इसलिए अभी मराठा समाज को SEBC के तहत आरक्षण नहीं मिल रहा है।
प्रश्न ४: Sebc को विस्तार से परिभाषित करिए @AskPerplexity 
उत्तर: SEBC यानी "सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग" उन जातियों या समुदायों को कहा जाता है, जो समाज और शिक्षा के स्तर पर दूसरी मुख्य जातियों की तुलना में पीछे माने जाते हैं।  
इस कैटेगरी में ऐसे वर्ग आते हैं जिन्हें आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी का मौका दिलाने के लिए सरकारी योजनाओं और आरक्षण का लाभ दिया जाता है।  
SEBC की पहचान राज्य या केंद्र सरकार की अलग-अलग समितियां और आयोग करती हैं, जो समाज के विभिन्न पहलुओं—जैसे शिक्षा, रोजगार और सामाजिक स्थिति—का अध्ययन करती हैं।
प्रश्न ५: Sebc की संवैधानिकता क्या है? @AskPerplexity 
उत्तर: SEBC की संवैधानिकता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत आती है, जो सरकार को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की अनुमति देते हैं।  
हालांकि, ये आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई 50% सीमा के भीतर ही मान्य माने जाते हैं, और इनकी संवैधानिकता हमेशा न्यायिक समीक्षा के अधीन रहती है।
प्रश्न ६: सुप्रीम कोर्ट ने किस केस में आरक्षण की सीमा ५०% तय की थी और क्यों कि थी? @AskPerplexity 
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट ने 1992 के ऐतिहासिक इंदिरा साहनी केस (Indra Sawhney v. Union of India), जिसे मंडल कमीशन केस भी कहते हैं, में आरक्षण की सीमा 50% तय की थी।  
कोर्ट का मानना था कि आरक्षण की ज्यादा सीमा सामाजिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध जा सकती है और इससे समानता का अधिकार प्रभावित होगा, इसलिए 50% से अधिक आरक्षण सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में ही दिया जा सकता है।
प्रश्न ७: तो क्या इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया था? @AskPerplexity 
उत्तर: हां, सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को मुख्य रूप से इसी वजह से असंवैधानिक घोषित किया था कि इससे 50% आरक्षण की सीमा पार हो रही थी।  
कोर्ट ने यह भी कहा था कि मराठा समाज को SEBC में शामिल करने के पर्याप्त ठोस आधार नहीं थे, इसलिए आरक्षण रद्द कर दिया गया।
प्रश्न ८: अब किस आधार पर मराठा sebc में शामिल किए गए हैं? @AskPerplexity 
उत्तर: मराठा समाज को SEBC में शामिल करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर कई समितियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिनमें मराठा समुदाय की स्थिति का विश्लेषण किया गया था।  
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ये आधार पर्याप्त नहीं थे, इसलिए कानूनी रूप से अभी मराठा समाज SEBC के अंतर्गत नहीं आता; फिलहाल सरकार द्वारा नया डेटा जुटाने और समाधान ढूंढ़ने की प्रक्रिया चल रही है।
प्रश्न ९: मतलब देवेन्द्र फडणवीस की सरकार इसपर रिपोर्ट बना रही है, तो फिर जरांगे क्या कर रहे है? #मराठा_आरक्षण 
उत्तर: फिलहाल जरांगे पटिल मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन और जनजागृति अभियान चला रहे हैं, ताकि सरकार पर दबाव बना रहे और समुदाय के हितों की रक्षा हो सके।  
वहीं, सरकार डेटा इकट्ठा करने और रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया में है, जबकि जरांगे का फोकस आंदोलन के जरिए मुद्दे को तेज़ रखना है।
प्रश्न १०: आंदोलन का क्या उपयोग जब डेटा इकट्ठा करने का काम और आरक्षण देने का काम देवेंद्र फडणवीस ने किया। आंदोलन से केवल अशांति ही फैलाने का काम क्यों करते है कुछ लोग? @AskPerplexity 
उत्तर: आंदोलन का उद्देश्य केवल अशांति फैलाना नहीं होता, बल्कि समाज की आवाज़ और मांगों को सरकार तक पहुँचाना भी होता है।  
जरांगे जैसे लोग आंदोलन के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सरकार समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से ले और समाधान के लिए कदम उठाए।  
कई बार आंदोलन से संवाद, जागरूकता और नीति में बदलाव भी आता है, इसलिए इसे पूरी तरह नकारात्मक नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न ११: बर्डन ऑफ प्रूफ का नाम सुना है क्या @AskPerplexity? जब कोई मांग करनी हो तो, सबूत भी देने पड़ते है कि वो मांग जायज क्यों है? Jarange सबूत तो नहीं दे रहे , केवल आंदोलन करके अशांति फैला रहे है। अगर कोई सबूत या डेटा उनके पास है तो वो रिकॉर्ड पर लाए, सरकार को सबमिट करें। 
उत्तर: बिल्कुल, जब कोई आरक्षण या किसी नीति की मांग करता है तो सबूत और ठोस डेटा देना जरूरी होता है, ताकि सरकार या अदालत उस मांग की समीक्षा कर सके।  
जरांगे फाउंडेशन बार-बार सरकार से मांग करते हुए मराठा समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट और सर्वेक्षण मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक सार्वजनिक तौर पर उनके पास मजबूत डेटा या रिपोर्ट नहीं आई है जिसे सरकार को औपचारिक रूप से दिया गया हो।  
अगर इनके पास भरोसेमंद सबूत हैं, तो उसे सरकार और पब्लिक के सामने रखना ही उचित तरीका होगा ताकि प्रक्रिया आगे बढ़ सके।




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