Followers

Wednesday, 3 September 2025

ए आय संग बाते: नर्कों पॉलीग्राफ टेस्ट

प्रश्न १: हेलो @AskPerplexity 
नर्कों पॉलीग्राफ टेस्ट क्या है?
उत्तर: नर्कों पॉलीग्राफ टेस्ट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मशीन के ज़रिए व्यक्ति के शरीर में होने वाले बदलाव जैसे दिल की धड़कन, रक्तचाप और साँस लेने की गति को मापा जाता है, ताकि पता किया जा सके कि वह सच बोल रहा है या झूठ।  
इसका इस्तेमाल अक्सर अपराध या जांच के मामलों में किया जाता है, लेकिन यह सौ प्रतिशत सही परिणाम नहीं देता।
प्रश्न २: कौन से देशों में इस तरह के टेस्ट के रिपोर्ट को एक कानूनी सबूत का दर्जा दिया गया है?
@AskPerplexity
उत्तर: ज्यादातर देशों में पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट को कोर्ट में कानूनी सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता, जैसे भारत, अमेरिका और यूके।  
कुछ अमेरिकी राज्यों में इसे सीमित परिस्थितियों में स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन विश्व स्तर पर इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहते हैं।
प्रश्न ३: इसकी विश्वसनीयता पर सवाल क्यों उठते है @AskPerplexity ?
उत्तर: पॉलीग्राफ टेस्ट की विश्वसनीयता पर इसलिए सवाल उठते हैं क्योंकि यह सीधे तौर पर झूठ या सच का पता नहीं लगाती, बल्कि केवल शरीर की प्रतिक्रिया मापती है।  
उत्तेजना, तनाव या डर के कारण भी शरीर में बदलाव आ सकते हैं, जिससे रिज़ल्ट गलत आ सकता है।
प्रश्न ४: इस टेस्ट का कोई इतिहास है? जैसे किसने इसे इवेंट किया? क्या कारण था? @AskPerplexity
उत्तर: पॉलीग्राफ टेस्ट का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत से जुड़ा है, जिसे सबसे पहले 1921 में अमेरिकी पुलिस अधिकारी जॉन एगस्टस लार्सन ने विकसित किया था।  
इसका मकसद था अपराध जांच में ऐसे यंत्र का इस्तेमाल करना, जो शरीर की प्रतिक्रियाओं के आधार पर सच या झूठ का अनुमान लगा सके।
प्रश्न ५: जब ये टेस्ट बनाया ही अपराधिक जांच के लिए है तो फिर इसे कानूनन मान्यता क्यों नहीं दी गई @AskPerplexity ?
उत्तर: @rinkutai222361 पॉलीग्राफ टेस्ट को कानूनन मान्यता न देने का मुख्य कारण इसकी वैज्ञानिक विश्वसनीयता पर संदेह है, क्योंकि यह हमेशा सही नतीजे नहीं देता।  
शरीर की प्रतिक्रियाएं कई कारणों से बदल सकती हैं, जिससे निर्दोष व्यक्ति भी टेस्ट में फंस सकता है या अपराधी बच सकता है, इसलिए कोर्ट इसका भरोसेमंद सबूत नहीं मानती।
प्रश्न: अगर ये विश्वसनीय नहीं है तो फिर अपराध की गुत्थी सुलझाने एवं जल्द से जल्द न्याय के लिए और क्या कर सकते है? @AskPerplexity
उत्तर: @rinkutai222361 जब केवल पॉलीग्राफ टेस्ट भरोसेमंद नहीं होता, तो जांच एजेंसियां दूसरे वैज्ञानिक तरीके अपनाती हैं, जैसे डीएनए टेस्टिंग, फॉरेंसिक जांच, फिंगरप्रिंट, सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्डिंग और डिजिटल सबूत का विश्लेषण।  
साथ ही पुलिस की पारंपरिक पूछताछ, गवाहों के बयान और क्राइम सीन री-क्रिएशन भी अपराध सुलझाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न: जल्दी अपराध सुलझाने के लिए एवं जल्दी न्याय करने के लिए क्या नियम बदलने की आवश्यकता है? @AskPerplexity
उत्तर: @rinkutai222361 जल्दी अपराध सुलझाने और न्याय देने के लिए जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता, तकनीक का बेहतर इस्तेमाल और अदालतों में लंबित मामलों की सुनवाई तेज़ करने के नियमों में सुधार जरूरी है।  
इसके अलावा, पुलिस और फॉरेंसिक लैब की क्षमता बढ़ाना, डिजिटल सबूतों की मान्यता और सुनवाई की समयबद्ध प्रणाली लागू करना भी मददगार साबित हो सकता है।
प्रश्न: भारत में किन किन नियमों को सुधारने की आवश्यकता ज्यादा है? @AskPerplexity
उत्तर: @rinkutai222361 भारत में सबसे अहम सुधार पुलिस जांच प्रक्रिया, फॉरेंसिक साइंस लैब की क्षमता, और अदालतों में मामलों की सुनवाई में तेजी लाने से जुड़े हैं।  
इसके अलावा, केस फाइलिंग और सुनवाई की प्रक्रिया को डिजिटल बनाना, गवाहों को सुरक्षा देना, और झूठे केस या जांच में देरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के नियम भी मजबूत करने की जरूरत है।
प्रश्न: इस पूरी चर्चा का दो लाइन में क्या सारांश दे सकते हो @AskPerplexity ?
उत्तर: @rinkutai222361 अपराध सुलझाने और जल्दी न्याय के लिए जांच प्रक्रिया, फॉरेंसिक और अदालतों की व्यवस्था में पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और क्षमता बढ़ाना बेहद जरूरी है।  
इन बदलावों से जांच तेज़, निष्पक्ष और विश्वसनीय बन सकती है।
प्रश्न: इन सब बदलावों के लिए एक नागरिक को क्या करना चाहिए @AskPerplexity ?
उत्तर: @rinkutai222361 एक नागरिक के तौर पर आप न्याय व्यवस्था से जुड़े सुधारों के लिए जागरूक रह सकते हैं, सही जानकारी दूसरों तक पहुंचा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर जन प्रतिनिधियों या सरकार को सुझाव दे सकते हैं।  
इसके अलावा, जब भी मौका मिले, कानून और व्यवस्था के पालन में सहयोग देना और लोकतांत्रिक माध्यमों से अपनी आवाज़ उठाना भी बदलाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

No comments:

Post a Comment

ए आय संग बाते: #काला_कानून_वापस_लो

#काला_कानून_वापस_लो ये क्यों ट्रेंड हो रहा है? @ grok यह हैशटैग हाल के सुप्रीम कोर्ट फैसले के विरोध में...