पिपळडीजी आई झालमझाल, हातायामे बेठा चार जना ।
चाऱ्यामे ओ सुरजजी परधान, बियाणा ओ रळी आवणा । पान चाबेला फुल सुंगेला, भोगीडा ओ बाई सुदरारा बीर |।बियाणा ॥
वारे हातामे कोथळ्या दरबभरी, दरबखरचे ओ बनडारे ब्याव ॥ बियाणा ।।
(घरके, माहेरदार, जवाई के नाम लेना)
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