बरनों
नागोला-खींटोला, कडी रे कोंकण मोयले मन राखले ।
इये लाडी रे कारण हरख उपज्यों, सुसरे सोनार बुलाइया ।। बाई रा घडना ऐ उथल घडाइया, पीळे पाट मैं पोवाड्या || नागोला ।।
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