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Wednesday, 30 November 2022

General knowledge: Part 20

 

Bharat Mata ki Jay!

General Knowledge is required for many competitive exams. Here are some one-line notes on random subjects. Read and go through it.

191) Pollination happens when pollen created from the stamen is moved to the stigma.

192) The space between panes of a window is sometimes filled with a gas such as argon or krypton.

193) The nuclear reaction that was responsible for the birth of star converts hydrogen into helium.

194) Pancreas lies crosswise behind the stomach.

195) Goa’s beaches are the world over for their scenic beauty.

196)  The word “plumbing” comes from Roman word for lead-plumbum.

197) rosewood is valuable hard, reddish wood, having rose-like odour and used in making furniture and pianos.

198) Maria Rebello is the first Indian Woman Referee to officiate a senior level professional men’s match in Indian soccer

199) The fishing cat is twice the size of a domestic cat and weighs about 11 kilograms.

200) Crab spider takes on the colour of its host flower and waits inside the flower to ambush bees, flies or moths.

#OneLinerNotes #Olympiad #CompetitiveExam #GeneralKnowledge #RandomFacts

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Tuesday, 29 November 2022

परोपकार से जीवन हो जाता है सुखमय

भारत माता की जय!

समय जैसे जैसे बिताता हैं वैसे वैसे कई घटनाएं होती रहती है| कुछ बुरी, कुछ अच्छी, तो कुछ परोपकार से भरी अति उत्तम घटनाएं| बस ऐसी ही उत्तम घटना आपके पढने के लिए यहाँ दी गयी हैं| इसे अपने परिवार के बालक बालिकाओ के साथ पढ़े|



घटना गाँव तोरुर की है. वहा एक धनि साहूकार रहता था. उन्होंने एक हाथी को पाल रखा था. एक दिन वह उन्मत हो उठा. उसने अपने मालिक नारायण नायर को उठा के पटक दिया. नारायण ने उसको शांत करने की बहुत कोशिश की लेकिन वह शांत नहीं हुआ. और इस बार हाथी ने उसे पटका और उसकी पीठ में अपने नोकीले दात घुसा दिये जिसके कारन वह बेहोश हो गए और इतनी हलचल होने के कारन आस पास के लोग भी वहा पहुचे और उन्होंने उस हाथी को शांत कर दिया. फिर सब लोगो ने नारायण नायर को अस्पताल में पहुचाया और जब वैद्यो ने इलाज किया तो पता चला की टाके से उसकी पीठ को नहीं ढका जा सकता है, इसके लिए हमें एक इंसान का डेढ़ पौन मॉस लगेंगा. रोगी के परिचित घरवाले कोई भी इस काम के लिए राजी नहीं थे, लेकिन जब यह बात एक वैद्य जो की बहुत अछे संस्कारो का था उसे पता चला तो वह इस काम के लिए राजी हो गया. फिर नारायण नायर को टाके लगे, और तब कहा जा के उसकी जान बची. मनुष्यता का दुसरा नाम ही परोपकार है.अगर हम अपने तन, मन, धन में से थोडासा देश को ठीक करने में लगाए तो, तो हमारे लिए अच्छा होता है नहीं तो फिर इन पैसे के पीछे भागने वाले समाज सेवक के साथ रहकर अपने पैसे और जाया होंगा.

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यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद! कहानी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे शेयर करे और इस ब्लॉग को फॉलो करे| परोपकार का कोनसा कर्म आपने किया हैं कमेंट कर जरुर बताये आपके नाम के साथ एक छोटी सी कथा जरुर लिखी जाएँगी|


Monday, 28 November 2022

General knowledge: Part 19

 

Bharat Mata ki Jay!

General Knowledge is required for many competitive exams. Here are some one-line notes on random subjects. Read and go through it.

181) Plant’s male reproductive system is called as anther or stamen.

182) When water is mixed with the concrete mixture, a chemical reaction called hydration occurs.

183) The greater the mass of a star, the brighter and fiercer it burns, hence its life span too is short as it burns out quickly.

184) Pancreas is pinkish yellow gland.

185) Mormugao, the country’s finest harbour on the west coast, is at the confluence of the Mandovi and Zuari rivers.

186) The Romans invented indoor plumbing using lead pipes.

187) Record player is a device on which photographs and video records may be played.

188) Keeping the Faith: Memories of a Parliamentarian is the autobiography of former Lok Sabha Speaker Somnath Chatterjee

189) Fishing cat hunts fish by diving in water to catch it or by hitting the fish out of the water with its paws.

190) Crab spiders do not form webs to catch their prey.

#OneLinerNotes #Olympiad #CompetitiveExam #GeneralKnowledge #RandomFacts

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Sunday, 27 November 2022

संस्कृत सुभाषितानि

 

भारत माता की जय!

संस्कृत सुभाषितों में जीवन कि शिक्षा छिपी हुई है| ऐसे ही कुछ सुभाषित अर्थ सहित आपके लिए यहाँ लिखे हैं| कृपया अंत तक पढ़िए|



अरण्यरुदितं कृतं शवशरीरमुद्वर्तितम्

स्थलेऽब्जमवरोपितं सुचिरमूषरे वर्षितम्

श्वपुच्छमवनामितं बधिरकर्णजापः कृतः

धृतोऽन्धमुखदर्पणो यदबुधो जनः सेवितः

अर्थात :-

मूर्ख मानव की सेवा करना, अरण्य में रुदन करने जैसा, मुर्दे को सुगंधी द्रव्य लगाने जैसा, जमीन पर कमल उगाने जैसा, बंजर जमीन पर बारिस जैसा, कूत्ते की पूँछ सीधी करने जैसा, और अँधे के सामने आयना रखने जैसा व्यर्थ है

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गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग o-17

कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः।,

आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः॥,

कड़वे, खट्टे, लवणयुक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, दाहकारक और दुःख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात्भोजन करने के पदार्थ राजस पुरुष को प्रिय होते हैं॥

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गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग o-17

अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं यत्,

असदित्युच्यते पार्थ तत्प्रेत्य नो इह॥,

हे अर्जुन! बिना श्रद्धा के किया हुआ हवन, दिया हुआ दान एवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी किया हुआ शुभ कर्म है- वह समस्त 'असत्'- इस प्रकार कहा जाता है, इसलिए वह तो इस लोक में लाभदायक है और मरने के बाद ही॥

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गीता -: मोक्षसन्यासयोग o-18

द्वेष्ट्यकुशलं कर्म कुशले नानुषज्जते ,

त्यागी सत्त्वसमाविष्टो मेधावी छिन्नसंशयः ,

जो मनुष्य अकुशल कर्म से तो द्वेष नहीं करता और कुशल कर्म में आसक्त नहीं होता- वह शुद्ध सत्त्वगुण से युक्त पुरुष संशयरहित, बुद्धिमान और सच्चा त्यागी है॥

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गीता -: मोक्षसन्यासयोग o-18

शरीरवाङ्मनोभिर्यत्कर्म प्रारभते नरः ,

न्याय्यं वा विपरीतं वा पञ्चैते तस्य हेतवः॥,

मनुष्य मन, वाणी और शरीर से शास्त्रानुकूल अथवा विपरीत जो कुछ भी कर्म करता है- उसके ये पाँचों कारण हैं॥,15,

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गीता -: मोक्षसन्यासयोग o-18

यस्य नाहङ्कृतो भावो बुद्धिर्यस्य लिप्यते ,

हत्वापि इमाँल्लोकान्न हन्ति निबध्यते ,

जिस पुरुष के अन्तःकरण में 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थों में और कर्मों में लिपायमान नहीं होती, वह पुरुष इन सब लोकों को मारकर भी वास्तव में तो मरता है और पाप से बँधता है।, (जैसे अग्नि, वायु और जल द्वारा प्रारब्धवश किसी प्राणी की हिंसा होती देखने में आए तो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं है, वैसे ही जिस पुरुष का देह में अभिमान नहीं है और स्वार्थरहित केवल संसार के हित के लिए ही जिसकी सम्पूर्ण क्रियाएँ होती हैं, उस पुरुष के शरीर और इन्द्रियों द्वारा यदि किसी प्राणी की हिंसा होती हुई लोकदृष्टि में देखी जाए, तो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं है क्योंकि आसक्ति, स्वार्थ और अहंकार के होने से किसी प्राणी की हिंसा हो ही नहीं सकती तथा बिना कर्तृत्वाभिमान के किया हुआ कर्म वास्तव में अकर्म ही है, इसलिए वह पुरुष 'पाप से नहीं बँधता',)

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गीता -: मोक्षसन्यासयोग o-18

विषयेन्द्रियसंयोगाद्यत्तदग्रेऽमृतोपमम्,

परिणामे विषमिव तत्सुखं राजसं स्मृतम्,

जो सुख विषय और इंद्रियों के संयोग से होता है, वह पहले- भोगकाल में अमृत के तुल्य प्रतीत होने पर भी परिणाम में विष के तुल्य (बल, वीर्य, बुद्धि, धन, उत्साह और परलोक का नाश होने से विषय और इंद्रियों के संयोग से होने वाले सुख को 'परिणाम में विष के तुल्य' कहा है) है इसलिए वह सुख राजस कहा गया है॥,

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गीता -: मोक्षसन्यासयोग o-18

शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं युद्धे चाप्यपलायनम्,

दानमीश्वरभावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम्,

शूरवीरता, तेज, धैर्य, चतुरता और युद्ध में भागना, दान देना और स्वामिभाव- ये सब-के-सब ही क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्म हैं॥

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सवेरे उठी काम काम काम….

कभी ना लिया शिव का नाम लिरिक्स कभी ना लिया शिव का नाम, सवेरे उठी काम काम काम, कभी ना लिया हरी नाम, सवेरे उठी काम काम काम..... हमरे द्वारे पे...