भारत माता की जय!
यूँ तो ये पढाई से जुदा ब्लॉग हैं पर पढाई करने की उमर में ही प्यार नाम के अँधेरे में कई लोग खो जाते हैं| इस अँधेरी गली में कई बार धोखा मिलता हैं तो कई बार जान गवानी पड़ती हैं| ये कहानी सिर्फ उस धोखे का एक काल्पनिक चित्रण हैं|
सत्यम का प्रेम
सत्यम यही नौवी कक्षा में पढ़ता था| पढाई में ठीकठाक था पर खेल कूद में अव्वल था और साथ ही अपने पिता की काफी मदत भी करता था - पूरी खेती की जानकारी उसे थी|
उसकी कक्षा में रिहाना नाम की लड़की थी| दोनों एक ही रस्ते पाठशाला जाते थे| स्कूल राज्य परिवहन की बस से जाना पड़ता था क्यों की दोनों देहात से थे और स्कूल ताहसिल की जगह थी| दोनों एक दुसरे के साथ बात भी करते थे और पढाई के लिए नोटबुक्स भी एकदूसरे को देते थे| बातो बातो में लड़कपन की उम्र में दोनों में प्यार हो गया| दोनों अक्सर घुमने के लिए घर से जल्दी निकल कर सबसे पहली बस भी पकड़ा करते थे|
बस यु ही मिलने घुमने का सिलसिला साल भर तक चलता रहा - दोनों अब दसवी कक्षा में आ गए थे और पढाई के लिए दोनों के घर से बहोत जोर दिया जाता था| पर प्यार में डूबा अँधा मन कहा पढाई करने दे - वो तो दिन रात प्रेमी के बारे में सोचे| और बार बार एक ही जिद मन में जगे
हर वक़्त तेरे आने की आस रहती है!
हर
पल तुझसे मिलने की प्यास रहती है!
सब
कुछ है यहाँ बस तू नही!
इसलिए
शायद ये जिंदगी उदास रहती है!
इस उदासी को दूर करने के लिए सत्यम और रिहाना ने ठान लिया की वो हर रोज सबसे पहली वाली बस से ही स्कूल के लिये जायेंगे और शाम को लौटते वक्त आखरी बस से लौटेंगे| दोनों एक्स्ट्रा क्लासेज का बहाना बना कर कभी कोई बगीचे में एक दुसरे की बाहों में बाहें डाले बैठते तो कभी कोई फिल्म देखने जाते|
रिहाना का यु देर तक बाहर रहना उसके भाई अक्थर को पसंद न था| फिर उसने एक दिन रिहाना का पीछा किया और वो क्या करती हैं ये जानने की कोशिश की| अख्तर ने देखा की रिहाना सत्यम के साथ घूम रही हैं और ये बात उसने घर पर सबको बता दी|
शाम को रिहाना के पापा उसकी राह देख रहे थे| उसके हाथ में एक डंडा था| जैसे ही रिहाना घर आई उन्होंने उसे उसी डंडे से पीटना शुरू किया| रिहाना की मम्मी ये सब देख रही थी| जब उसके पापा थक गए तो उसे मम्मी अपने साथै कमरे में ले गयी| बदन पर हुए जख्मो पर मरहम लगाते हुए बोली, "पढ़ने के लिए तहसील भेजते थे| तुझे तो लडकों के साथ गुलछर्रे उड़ाने थे| कल से तेरी स्कूल बंद|"
ये सुन रिहाना अपने मम्मी पापा के सामने बहुत गिडगिडाने लगी, पर अब कोई फायदा ना था| उसे अगले दिन से कही जाने नहीं दिया गया| उसकी पढाई बंद कर दी गयी|
इधर सत्यम रिहाना के न दिखने से और उसके साथ बात न होने से परेशान था| एक रविवार के दिन उसने ठानी की वो रिहाना के गाव जायेंगा और पता लगायेंगा की क्या हुआ है जो रिहाना ने स्कूल आना बंद कर दिया| उसने अपने दोस्तों से मदत मांगी पर हर किसि ने कहा की सत्यम रिहाना को भूल कर अपनी पढाई पर ध्यान दे|
पर प्यार में अँधा मन कहा किसी की सुने| वो अकेले ही रिहाना की पूछताछ करने उसके गाव चला गया| जैसे ही वो रिहाना के मोहल्ले में पोहोचा और उसके बारे में पूछने लगा लोग उसकी तरफ संशय भरी निगाहों से देखने लगे| फिर उसके सामने अक्थर आया| अख्तर उसे अपने घर ले गया और अपने पापा को बुलाकर बताया की यही है सत्यम - रिहाना का प्रेमी|
रिहाना के पापा ने भाप लिया था की सत्यम अकेले ही आया हैं| उन्होंने तेल लगा कर डंडे तयार रखे ही थे की कब सत्यम उनके हाथ आये और वो सत्यम को पिटे| बस दे डंडे पे डंडे सत्यम पर बरसाए गए और रिहाना बंद कमरे की खिड़की से सत्यम की पिटाई देख रही थी| सत्यम जब अधमरा हो गया तब उसे गाड़ी में लड़कर रिहाना के भाई और पापा उसे उसके गाव के पास के खेत में छोड़ आये|
इधर काफी समय से सत्यम घर नहीं आया था तो उसे ढूंढने की एक ही अफरा तफरी पुरे गाव में मची थी| फिर किसी ने अधमरे सत्यम को खेत में देखा और उसके माँ पिता को खबर देदी| उसे किसी तरह घर लाया गया और उसके जख्मो पर हल्दी का लेप लगाकर शहर में दवाखाने के लिए लेजाया गया| जब उसे होश आया तब उसे पता चला की उसके रीड की हड्डी को गहरी चोटे लगी है और वो कब तक ठीक होंगी कहा नहीं जा सकता| और जब तक रीड की हड्डी ठीक नहीं होती तबतक उसे बेडरेस्ट करनी पड़ेगी|
उसकी पिटाई किसने की? ये सब कैसे हुआ? ये जानने के बाद सत्यम की माँ ने उसे प्यार से एक ही बात कही, "लड़कपन की उमर भलेही कहती हैं की वो लड़की अच्छी, वो मेरा पहला प्यार! पर सच ये होता हैं की ये सिर्फ एक शारीरिक आकर्षण होता हैं| इसमें जितना उल्झोंगे उतनी जिंदगी बर्बाद होती रहेंगी|"
सत्यम को कई दिन लगे अपने दो पैरो पर बिना किसी सहारे के चलने के लिए| इस बिच सत्यम ने दसवी चार बार परीक्षा देकर पास कर ली पर खेल खुद में जो वो अव्वल था वो उसे सब छोड़ना पड़ा| खेती के काम भी वो बड़ी मुश्किल से कर सकता था| पढाई नहीं, काम नहीं, ऐसी हालत में सत्यम बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा कर पा रहा था|
यहाँ तक कहानी पढने के लिए धन्यवाद! अगर कहानी से आप कुछ समझ पाए हो तो कृपया इसे शेयर करे.
इतने दुःख दर्द को पढ़ने के बाद कुछ तो मोटिवेशन चाहिए तो ये कुछ पलों का विडियो देखिये -
ReplyDeleteअरे भाई पढाई करवा रहे हो या प्रेम कहानियां पढने के लिए दे रहे हो वो भी #interfaith वाली! हद होती हैं! जरा #troll करिए सब #netizen मिलकर इस ब्लॉग को!
और ये क्या हैं आखिर में एक सुविचार बस इतनी डरावनी कहानी बता कर एक सुविचार से किसको शांति दे रहे हो?
Mst hai
ReplyDeleteBadi bhayankar kahani thi aur sachai bhi
ReplyDelete