जय श्री राम
भारतीय सिनेमा शुरू से ही कहानियों को बदलकर दिखाता आया है।
1921 में कोहिनूर फिल्म कंपनी ने भक्त विदुर ये फिल्म बनाई। यह फिल्म महाभारत के विदुरजी के जीवन पर आधारित थी।
विदुरजी महान विष्णु भक्त थेl एक अच्छे योद्धा भी थे। तलवारबाजी में वह निपुण थे। कौरव राजसभा का मंत्री पद उन्होंने अच्छे से सुशोभित किया था राजनीति और रणनीति दोनों ही विदुरजी को पता थी। विदुरजी कही से भी अहिंसावादी नही थे।
इस फिल्म में विदुरजी की छवि गांधीजी जैसी बताई गई। उस समय भारत में ब्रिटिश गवर्नमेंट ने इस फिल्म को बैन कर दिया था क्योंकि विदुरजी को मोहनदास गांधी की तरह बताया गया था।
इस फिल्म को कांजी भाई राठौड़ ने निर्देशित किया था और विदुर की मुख्य भूमिका द्वारकादास संपत ने निभाई थी।
अंग्रेजों के जमाने से मतलब पिछले 100 सालों से भी ज्यादा समय से भारतीय सिनेमा महाभारत जैसी पवित्र कथा को भी बदल कर बताती आ रही है तो सोचिए आज तक भारतीय सिनेमा ने कितनी कहानियां बदल कर अपने दर्शकों को भ्रमित किया होगा?
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